कौन है भोले बाबा, हादसे के बाद कहां भागा : 30 एकड़ में आश्रम, कारों का काफिला; भक्त परमात्मा बुलाते, पत्नी को मां जी

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कौन है भोले बाबा, हादसे के बाद कहां भागा : 30 एकड़ में आश्रम, कारों का काफिला; भक्त परमात्मा बुलाते, पत्नी को मां जी : – UP के हाथरस में मंगलवार को सत्संग के बाद भगदड़ मच गई। इसमें महिलाएं और बच्चे फंस गए। भीड़ ने उन्हें कुचल दिया और शवों के ढेर लग गए। अब तक 122 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में ज्यादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हैं। हाल के सालों में ये सबसे बड़ी त्रासदी है।

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भगदड़ उस समय हुई, जब लोग भोले बाबा के चरणों की धूल लेने को टूट पड़े। वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन से पानी की बौछार की। लोग फिसले और जमीन पर गिरे, फिर एक-दूसरे को रौंदते हुए निकल गए। हादसे के बाद भोले बाबा फरार हो गया। हादसे के 17 घंटे बाद भी पुलिस को उसकी लोकेशन नहीं मिली है।

भोले बाबा का आश्रम 30 एकड़ में है। उसने खुद की आर्मी बना रखी है। यौन शोषण समेत 5 मुकदमे दर्ज हैं। UP पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल रहते हुए यौन शोषण का आरोप लगा तो उसे बर्खास्त कर दिया गया था। जेल भी गया। बाहर आया तो नाम और पहचान बदल ली। अनुयायी भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि को परमात्मा कहते हैं, जबकि उसकी पत्नी को मां जी। हर समागम कार्यक्रम में बाबा और उसकी पत्नी शामिल होते हैं, जब बाबा नहीं होते तो पत्नी प्रवचन देती। तीन महीने से पत्नी का स्वास्थ्य खराब है, इसलिए बाबा अकेले ही प्रवचन देने जाते थे।

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बाबा कहां है, सामने आई 2 थ्योरी…

हादसा हाथरस जिले से 47 किमी दूर फुलरई गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे हुआ। उस वक्त भोले बाबा गांव में मौजूद था। लेकिन, भगदड़ मचते ही वह फरार हो गया। अब वह कहां है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। इस बीच दो थ्योरी सामने आईं। पहली कि बाबा पुलिस की गिरफ्त में है। उसे मैनपुरी के कस्बा बिछवा स्थित राम कुटीर आश्रम में रखा गया है। आश्रम के अंदर-बाहर फोर्स तैनात कर दी गई है।

मामला ठंडा होते ही पुलिस उसकी गिरफ्तारी दिखा सकती है। दूसरी थ्योरी में यह बताया जा रहा है कि बाबा ने अपना मोबाइल बंद कर लिया है। वह फरार हो गया है। उसकी लोकेशन पुलिस को नहीं मिल रही है।

अब पढ़िए भोले बाबा का असली नाम क्या है और वो इतना बड़ा उपदेशक कैसे बन गया?

एटा में जन्म, नौकरी से बर्खास्त, फिर बदला नाम और पहचान

भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। वह एटा जिले के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला है। शुरुआती पढ़ाई एटा जिले में हुई। बचपन में पिता के साथ खेती-किसानी में हाथ बंटाता था। पढ़ाई के बाद UP पुलिस में नौकरी लग गई। UP के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में सूरज पाल की तैनाती रही।

UP पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी के दौरान 28 साल पहले सूरज पाल इटावा में भी पोस्टेड रहा। नौकरी के दौरान उसके खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा दर्ज होने के बाद उसे पुलिस विभाग से बर्खास्त किया गया।* जेल से छूटने के बाद उसने अपना नाम नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और उपदेशक बन गया। लोग उसे भोले बाबा कहने लगे। उसकी पत्नी भी समागम में साथ रहती है।

30 एकड़ में आश्रम, 10 साल पहले मैनपुरी पहुंचा

बाबा का गांव में आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है। जहां किसी देवता की मूर्ति नहीं है। 2014 में उसने बहादुर नगर से मैनपुरी के बिछवा में अपना ठिकाना बदल लिया और आश्रम का प्रबंधन स्थानीय प्रशासक के हाथों में छोड़ दिया। सूत्रों ने बताया कि उसके ठिकाना बदलने के बावजूद आश्रम में हर दिन 12,000 तक लोग आते थे।

वह कारों के काफिले के साथ चलता है। मीडिया से दूरी बनाए रखने वाले बाबा की गांव-गांव गहरी पैठ है। अनुयायी उसे भगवान शिव की तरह पूजते हैं। इसलिए उसका नाम भोले बाबा पड़ गया।

मॉर्डन लुक अपनाया

भोले बाबा किसी अन्य बाबा की तरह भगवा पोशाक नहीं पहनता। वह अपने सत्संग में थ्री पीस सूट और रंगीन चश्मे में नजर आता है। सूट और बूट का रंग हमेशा सफेद होता है। कई बार कुर्ता-पैजामा और सिर पर सफेद टोपी भी लगाकर सत्संग करने पहुंचता है।

बाबा का दावा- नौकरी छोड़ने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ

भोले बाबा अपने समागम में दावा करता है- 18 साल की नौकरी के बाद 90 के दशक में उसने VRS ले लिया।* उसे नहीं मालूम कि सरकारी नौकरी से अध्यात्म की ओर खींचकर कौन लाया? VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। भगवान की प्रेरणा से पता चला, यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण में लगाने का फैसला कर लिया।

वह कहता है- मैं खुद कहीं नहीं जाता, बल्कि भक्त मुझे बुलाते हैं। भक्तों की फरियाद पर अलग-अलग स्थानों पर घूमकर समागम करते रहते हैं। इस समय कई IAS-IPS अफसर उसके चेले हैं। अक्सर उनके समागम में राजनेता और अफसर पहुंचते हैं। शादियां भी कराई जाती हैं।

बिना प्रसाद और चढ़ावे के आते हैं भक्त

साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के आयोजन में कोई प्रसाद नहीं चढ़ता। अनुयायी भी कोई चढ़ावा नहीं चढ़ाते हैं। बाबा कोई साहित्य या सामग्री नहीं बेचते। समागम कार्यक्रमों के लिए श्रद्धालुओं से चंदा नहीं लिया जाता। अनुयायी मंच के नीचे से बाबा को प्रणाम करते हैं। चढ़ावा नहीं लेने की वजह से बाबा के अनुयायी बढ़ते गए।

SC/ST और OBC वर्ग में गहरी पैठ

भोले बाबा के अनुयायी UP, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हैं। SC/ST और OBC वर्ग में उसकी गहरी पैठ है। मुस्लिम वर्ग के लोग भी अनुयायी हैं। बाबा का यूट्यूब चैनल और फेसबुक पर पेज भी है। यूट्यूब में 31 हजार सब्सक्राइबर हैं। फेसबुक पेज पर भी ज्यादा लाइक्स नहीं हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके लाखों अनुयायी हैं। उनके हर समागम में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है।

काली पोशाक में रहती है भोले बाबा की आर्मी

भोले बाबा की खुद की आर्मी है, जिन्हें सेवादार कहा जाता है।* हर मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी कमान यही सेवादार संभालते हैं। सेवादार देश से आने वाले श्रद्धालुओं के पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक की व्यवस्था करते हैं।

समागम में बांटा जाता है पानी

भोले बाबा के सत्संग में जो भी भक्त जाता है, उसे वहां पानी बांटा जाता है। बाबा के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। एटा में बहादुर नगर गांव स्थित बाबा के आश्रम में दरबार लगता है। यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है। दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लंबी लाइन लगती है।

कोरोना काल में भी हुआ था विवाद

मई, 2022 में जब देश में कोरोना की लहर चल रही थी, उस समय फर्रुखाबाद में भोले बाबा ने सत्संग किया था। जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी थी। लेकिन, कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। यहां उमड़ी भीड़ के चलते शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी।

उस समय भी जिला प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इस बार भी कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के लिए जितने लोगों के शामिल होने की बात प्रशासन को बताई गई थी, उससे कहीं ज्यादा लोग जुट गए थे। भोले बाबा पर जमीन कब्जाने के भी कई आरोप हैं। कानपुर के बिधनू थाना क्षेत्र के करसुई गांव में साकार विश्वहरि ग्रुप पर 5 से 7 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा था।

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