सरसों, सोयाबीन और तेलों की तेजी मंदी रिपोर्ट / Sarson , Soyabean, Oil teji mandi report

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सरसों, सोयाबीन और तेलों की तेजी मंदी रिपोर्ट / Sarson , Soyabean, Oil teji mandi report :- किसान भाइयों रोजाना अपनी मंडी के ताजा भाव, वायदा बाजार भाव और तेजी मंदी रिपोर्ट पाने के लिए हमारी वेबसाइट पर जरूर विजीट करें और गुगल पर सर्च जरूर करें 👉 Mandi xpert

किसान भाइयों सरसों के भाव में पिछले 4 दिनों से लगातार गिरावट जारी है और सरसों MSP से काफी नीचे आ चुकी है। मंदी का कारण सरकार द्वारा खाद्य तेलों के आयात पर कोई शुल्क नहीं लिया जाना है जिससे सरसों और सोयाबीन तेल मंहगे होने के कारण इनकी मांग में लगातार गिरावट जारी है। जानेंगे इस पोस्ट में सरसों, सोयाबीन, सोया तेल, और पाम तेल की तेजी मंदी रिपोर्ट।

सरसों का भाव 👉 Sarso ka taja bhav 11may / सरसों का ताजा मंडी भाव

सोयाबीन का भाव 👉 Soyabean Mandi bhav today 11 may / सोयाबीन का ताजा भाव

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सरसों : विदेशी बाजारों में गिरावट और मीलों की मांग कमजोर पड़ने से सरसों में गिरावट जारी। जयपुर, भरतपुर सहित अन्य मंडियों में सरसों के भाव 50-100 रुपये तक टूटे। सलोनी ने भी 50 रूपए घटाकर 5725 किया सरसो के भाव में गिरावट के बावजूद आवक में बढोतरी दर्ज की गयी। तेल की मांग कमजोर रही जिससे तेल में 2-3 रुपये किलो की गिरावट आयी। विदेशी बाज़ारों की कमजोरी को देखते हुए सरसो के भाव 150-200 रुपये और टूट सकते हैं। घटे भाव पर किसान की बिकवाली कमजोर पड़ने और मीलों की मांग से गिरावट पर लगाम लगेगी।

किसानों की कठिनाई दूर करने हेतु सरकार को आवश्यक कदम उठाने की जरूरत चालू रबी सीजन (2022-23) के लिए केन्द्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 5450 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जो पिछले साल के समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल से 400 रुपए ज्यादा है लेकिन देश की अधिकांश प्रमुख थोक मंडियों में इसका भाव घटकर 5000 रुपए प्रति क्विंटल या इससे नीचे आ गया है। कुछ मंडियों में तो दाम महज 4500 4700 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है। इससे ऊंची कीमत पाने की किसानों की आशा अब निराशा में बदल गई है।

उद्योग व्यापार क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि सरसों के दाम में पिछले साल के मुकाबले इस बार गिरावट आने का प्रमुख कारण सरकार की नीतियों का प्रतिगामी होना है।

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आमतौर पर जब घरेलू बाजार में तिलहन तेल का भाव ऊंचा और तेज होता है तब सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में भारी कटौती कर देती है और कीमत नीचे रहने पर सीमा शुल्क में वृद्धि करती है। लेकिन इस बार उल्टा हो रहा है। सरसों एवं इसके तेल का दाम घटकर काफी नीचे आ गया है।जिसे देखते हुए उत्पादक एवं उद्योग-व्यापार संगठनों द्वारा काफी नीचे आ गया है जिसे देखते हुए उत्पादक एवं उद्योग-व्यापार संगठनों द्वारा सरकार से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की जोरदार मांग की जा रही है

और खासकर आरबीडी पामोलीन के आयात पर भारी-भरकम सीमा शुल्क लगाने या आयात को रोकने का ठोस आग्रह किया जा रहा है लेकिन इस पर गौर करने के बजाए सरकार ने क्रूड सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल के आयात पर बचे-खुचे सीमा शुल्क को भी समाप्त कर दिया है।

हालांकि सरकार ने अपनी अधिकृत एजेंसी नैफेड को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विशाल मात्र में सरसों की खरीद करने का निर्देश दिया है मगर यह एजेंसी कछुआ चाल से इसकी खरीद कर रही है। इससे बाजार भाव पर नकारात्मक असर पड़ रहा है और उसमें नरमी का माहौल बना हुआ है। एक अग्रणी संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) सरकार को पहले ही आगाह कर चुका है कि यदि सरसों के दाम में बढ़ोत्तरी नहीं हुई तो आगामी रबी सीजन में इस महत्पूर्ण तिलहन फसल की खेती के प्रति किसानों का उत्साह एवं आकर्षण काफी घट सकता है।

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सोयाबीन: विदेशी बाज़ारों में गिरावट और सोया तेल में गिरावट से प्लांटों की मांग कमजोर पड़ी। विदेशों से सोयाबीन का आयात जारी वहीं डीओसी की निर्यात मांग सुस्त पड़ी। प्लांटों के पास जरुरत भर का तेल और डीओसी का स्टॉक मौजूद जिससे नयी खरीदारी सिमित हो गयी है।एमपी, महाराष्ट्र और राजस्थान के प्लांटों ने भाव 25-75 रुपये तक घटाए। विदेशी बाजारों में भी सोयाबीन की कीमतों में दबाव दिख रहा है। अमेरिका में सोयाबीन की बुवाई, ब्राज़ील में सोयाबीन का अधिक उत्पादन अंतराष्ट्रीय बाजार पर दबाव डाल रहा है। मौजूदा स्तरों से सोयाबीन में 150-180 रुपये निचे सपोर्ट है जहाँ गिरावट पर लगाम लग सकता है।

सोया तेल: सीबीओटी सोया तेल और केएलसी में गिरावट से सोया तेल के हाजिर भाव में गिरावट जारी। गिरावट को देखते हुए लेवाल भी पीछे हटे पोर्ट पर सोया तेल के भाव 2 रूपए / किलो गिरकर 950 पर हुआ बंद। वहीं मांग कमजोर देखते हुए एमपी, महाराष्ट्र और राजस्थान के प्लांटों ने 2-3 रुपये / किलो की कटौती की। कल भारत सरकार ने TRQ वाले सोया तेल शिपमेंट को 31 जून तक आयात की अवधी दी। ध्यान दें की जिन इम्पोर्टर्स को TRQ के तहत आयात की इजाजत मिली थी और जिनके पास 31 मार्च के पहले का LC है वही आयात कर पाएंगे। सोया तेल भी अपने ट्रेडिंग रेंज के निचले स्तर के करीब है जहाँ गिरावट रुक सकती है। कांडला सोया तेल 900-920 के बीच लेवाली का अच्छा स्तर।

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पाम तेल: मिले जुले फंडामेंटल और फंड की बिकवाली से केएलसी हुआ धराशाही। इंडोनेशियाँ और मलेशिया में पाम तेल उत्पादन बढ़ने के अनुमान से केएलसी पर दबाव। मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन 1-10 मई के बीच 30% बढ़ा SPPOMA मलेशिया पाम तेल के आगे के सौदे स्पॉट महीने से काफी निचे। विदेशी बाज़ारों के कमजोर सेंटीमेंट को देखते हुए पोर्ट पर पाम तेल 1 रुपये/किलो गिरकर 930 पर बंद हुआ। पिछले कुछ सप्ताह से हम देख रहे हैं की पाम तेल 900-950 के बीच कारोबार कर रहा है। ऐसे में पाम तेल में अभी भी 2-3 रुपये किलो का रिस्क है जहाँ गिरावट रुक सकती है।

व्यापार अपने विवेक से करें ।

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