आयात शुल्क में वृद्धि होने से खाद्य तेलों का दाम बढ़ने के आसार
क्रूड एवं रिफाइंड श्रेणी के पाम तेल, सोयाबीन तेल तथा सूरजमुखी तेल पर बुनियादी सीमा शुल्क में 20 प्रतिशत बिंदु की बढ़ोत्तरी करने के भारत सरकार के निर्णय का घरेलू बाजार मूल्य पर सकारात्मक असर पड़ने लगा है जबकि आगामी महीनों में इसकी कीमतों में और भी इजाफा होने की उम्मीद है। उद्योग समीक्षकों के अनुसार शुल्क वृद्धि का खाद्य तेलों के आयात की मात्रा पर कोई खास प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
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लेकिन आयातित तेल का खर्च बढ़ने से इसका घरेलू बाजार भाव ऊंचा हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत में खाद्य तेल की 55-60 प्रतिशत मांग एवं जरूरत को विदेशों से आयात के जरिए पूरा किया जाता है। लगभग ढाई वर्षों के बाद सरकार ने खाद्य तेलों पर आधार भूत आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी की है। इसके फलस्वरूप अब कुल वास्तविक या प्रभावी आयात शुल्क क्रूड श्रेणी के खाद्य तेलों पर 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 27.5 प्रतिशत हो गया है।
एक रेटिंग एजेंसी के अनुसार सीमा शुल्क में हुई वृद्धि के कारण खाद्य तेलों का आयात खर्च करीब 20 प्रतिशत बढ़ जाएगा और इसका भार सीधे उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा। हालांकि खाद्य तेलों के ऊंचे दाम से तिलहनों का भाव बढ़ने की संभावना है क्योंकि क्रशिंग- प्रोसेसिंग इकाइयां किसानों से ऊंचे भाव पर इसकी खरीद का प्रयास कर सकती हैं लेकिन उपभोक्ताओं को कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
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सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों से निकट भविष्य में अपने ब्रांडों का दाम नहीं बढ़ाने के लिए कहा है। उसका कहना है कि पहले निम्न स्तरीय शुल्क पर खाद्य तेलों का जो विशाल आयात किया गया था उसका स्टॉक अगले दो महीनों तक घरेलू मांग एवं खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। जब तक उस स्टॉक की पूरी बिक्री नहीं हो जाती तब तक कीमतों को स्थिर रखा जाना चाहिए। तेल उद्योग सरकार को इसका आश्वासन दे रहा है इसलिए ऐसा लगता है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ही तेलों के दाम में बढ़ोत्तरी हो जाएगी।