सरसों तेजी मंदी रिपोर्ट 2024 ,विदेशों से तेलों के आयात बड़ने और आयात शुल्क न लगने के कारण सरसों में गिरावट

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सरसों तेजी मंदी रिपोर्ट 2024 / विदेशों से तेलों के आयात बड़ने और आयात शुल्क न लगने के कारण सरसों में गिरावट : – नमस्कार किसान भाइयों आज हम इस पोस्ट में जानेंगे सरसों भाव में गिरावट के क्या कारण रहे और सरसों भाव में तेजी आने की संभावना है या मंदी। रोजाना अपनी मंडी के ताजा भाव पाने के लिए गुगल सर्च करें 👉 Mandi Xpert

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तेल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण घरेलू बाजार में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन सरसों के भाव घट गए।

जयपुर में कंडीशन की सरसों के दाम 25 रुपये कमजोर होकर भाव 5,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक (daily arrivals) बढ़कर 8.50 लाख बोरियों की हुई, जबकि पिछले कारोबारी दिवस में आवक 7.25 लाख बोरियों की ही हुई थी।

विश्व बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मलेशिया में पाम तेल के वायदा अनुबंध (palm oil futures contracts) में गिरावट आई, जबकि शिकागो में सोया तेल की कीमतें शाम के सत्र में बढ़ गई।

व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में खाद्य तेलों (edible oil) की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है, क्योंकि पाम तेल के दाम अभी भी अन्य खाद्य तेलों की तुलना में ज्यादा है।

ऐसे में घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों में सीमित घटबढ़ बनी रहने का अनुमान है। हाजिर बाजार में सरसों तेल की कीमतों में आज लगातार दूसरे दिन भी गिरावट दर्ज की गई जबकि इस दौरान सरसों खल के भाव कमजोर हो गए।

मौसम की स्थिति तय करेगी आगे की चाल

सरसों तेल की क़ीमतें आयातित खाद्य तेलों पर निर्भर
मौसम की स्थिति तय करेगी आगे की चाल


व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में शुक्रवार को सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई तथा मौसम अनुकूल बना रहा तो उत्पादक मंडियों में सरसों की दैनिक आवक का दबाव अभी बना रहने की उम्मीद है। वैसे भी चालू रबी में सरसों का उत्पादन अनुमान ज्यादा है।

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सरसों तेल की क़ीमतें आयातित खाद्य तेलों पर निर्भर
सरसों तेल में मांग बनी रहने का अनुमान है, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्य तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।

बर्मा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (बीएमडी) पर जून डिलीवरी के पाम तेल के वायदा अनुबंध में 39 रिंगिट यानी की 0.9 फीसदी की गिरावट आकर भाव 4,279 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुए।

पिछले सप्ताह इसके भाव ने 4,443 रिंगिट का एक साल उच्चतम भाव छुआ था, तथा इस सप्ताह इसके वायदा अनुबंध में 1.5 फीसदी की गिरावट आई है। गुरुवार को 3.2 फीसदी की गिरावट के बाद शुक्रवार को शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल की कीमतें 0.4 फीसदी बढ़ गईं।

जानकारों के अनुसार उत्पादन में कमी के साथ ही बढ़ते निर्यात के कारण हाल के महीनों में पाम तेल के बकाया स्टॉक में कमी आई है, लेकिन आगामी दिनों में उत्पादन में वृद्धि होने का अनुमान है। वैसे भी भारत जैसे खरीदार ऊंची कीमतों के कारण अन्य खाद्वय तेलों के आयात पर जोर दे रहे हैं।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव में 10 रुपये की गिरावट आकर दाम 1,021 रुपये प्रति 10 किलो रह गए ।

जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 10 रुपये घटकर भाव 1,011 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। जयपुर में शुक्रवार को सरसों खल के भाव 15 रुपये कमजोर होकर दाम 2,525 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

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