सरसों तेजी मंदी रिपोर्ट / mustard boom recession report

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सरसों तेजी मंदी रिपोर्ट और सरकारी खरीद आंकड़े / mustard boom and recession report and government procurement data :- किसान भाइयों हम आपको रोजाना देशभर की मंडियों के ताजा भाव और तेजी मंदी रिपोर्ट उपलब्ध करवाते हैं आज इस पोस्ट में सरसों की तेजी मंदी रिपोर्ट और सरकारी खरीद आंकड़े उपलब्ध करवायेंगें।

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धीमी सरकारी खरीद के कारण सरसों का भाव समर्थन मूल्य से नीचे केन्द्र सरकार की अधीनस्थ एजेंसीनैफेड द्वारा चालू रबी मार्केटिंग सीजन में देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरसों की खरीद तो की जा रही है मगर इसकी गति काफी धीमी है और इसलिए बाजार भाव में नरमी पर ब्रेक नहीं लग रहा है।

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नैफेड द्वारा 4 मई 2023 तक इन उत्पादक राज्यों में 2,30,521 किसानों से 5450 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 2599.43 करोड़ रुपए कीमत की कुल 4,76,959 टन सरसों की खरीद की जा सकी। नहीं पिछले साल से इसकी तुल की जा सकती है क्योंकि गत वर्ष बाजार भाव काफी ऊंचा रहने से नैफेड को सरसों का एक दाना भी खरीदने का अवसर नहीं मिल पाया था।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू रबी मार्केटिगं सीजन के दौरान अब तक हरियाणा में सर्वाधिक 1891.72 करोड़ रुपए मूल्य की 3,47, 105 टन सरसों खरीदी गई जबकि मध्य प्रदेश में 391.09 करोड़ रुपए मूल्य की 71759.97 टन, सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य – राजस्थान में 190.64 करोड़ रुपए मूल्य की 34980.18 टन तथा गुजरात में 125.51 करोड़ रुपए मूल्य की 23028.56 टन सरसों की हुई।

खरीद की प्रक्रिया अभी जारी खरीद उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने सरसों का घरेलू उत्पादन 2021-22 सीजन के 119.63 लाख टन से बढ़कर 2022-25 के सीजन में 128.18 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर परपहुंचने का अनुमान लगाया है जिसमें से अब तक पांच लाख टन नई की खरीद भी पूरी नहीं हुई है।

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ध्यान देने की बात है कि सरसों की सर्वाधिक आवक मार्चअप्रैल में होती है और उसी समय आपूर्ति के भारी दबाव के कारण इसके दाम में जोरदार गिरावट आने की संभावना भी रहती है। इस बार तो फरवरी से ही नए माल की आवक का प्रेशर बनने । लगा था एक तो नैफेड ने सरसों की खरीद देर से शुरू की ओर दूसरे इसकी गति भी धीमी रखी ।

इससे रबी सीजन के इस सबसे महत्वपूर्ण तिलहन का थोक मंडी भाव लुढ़ककर न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे आ गया। किसान सरकारी एजेंसी को अपना उत्पाद बेचने के लिए बेचैन हैं मगर खरीद की गति अत्यन्त धीमी होने से उन्हें खुले बाजार में औने-पौने दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

ऐसा प्रतीत होता है कि बाजार में सरसों की आवक घटने तथा कीमत बढ़ने का इंतजार कर रहा है ताकि उसे आगे भी खरीद की रफ्तार धीमी रखने में सहायता मिल सके । यदि उसने पूरी सक्रियता दिखाई होती तो अब तक करीब 12-15 लाख टन सरसों की नैफेड खुले खरीद पूरी हो जाती। चूंकि वैश्विक बाजार में विभिन्न खाद्य तेलों का भाव घटकर काफी नीचे आ गया है और घरेलू प्रभाग में इसका दाम घटाने के लिए केन्द्र सरकार उद्योग पर दबाव बढ़ा रही है इसलिए निकट भविष्य में सरसों के दाम में जोरदार इजाफा होने की संभावना नहीं है।

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