यूरिया और दूसरे खाद का छोड़िए चक्कर! फसलों के लिए संजीवनी है ये घरेलू उपाय, जमकर होगी पैदावार

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अगर आप भी एक किसान हैं तो यह खबर आपके लिए है. घर पर प्रतिदिन प्रयोग होने वाले सामग्री के बचे हुए अवशेष अब फसलों को और बेहतर बनाने में कामयाब होंगे. बहुत आसानी से तैयार होने वाले ये उर्वरक बाजार से भी शानदार होते है ।

मुख्य बिंदु

लगभग 20 सालों से किसानों के हित में शोध कर रहे मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष (HOD) प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि जिस घर में मवेशी हो वहां से शानदार जैविक खाद तैयार हो सकती है. कभी भी गोबर को सीधे खेत में न डालें नहीं क्योंकि यूरिया का प्रसेंटेज अधिक होने के कारण फसल को हानि हो सकती है. सबसे पहले गोबर को इकट्ठा कर ले और कुछ दिन बाद सड़ने गलने पर ही खेत में डालें. यह ध्यान रखें की इसमें किसी प्रकार का बाजारु खाद न मिलाए नहीं तो यह खराब हो सकता है ।

जोहड़ के पानी से खाद कैसे बनाएं

आप खुद अगर पानी टैंक, पोखरा या तालाब में मछली पाल रहे हैं तो वो जैविक खाद का बड़ा हिस्सा बन सकता है. जहां मछली पालन होता है, वह फसलों के लिए काफी उपयोगी हो सकता है. दरअसल पानी में मछलियों का मल मूत्र व छोटे-छोटे पौधों का अवशेष भी मिला होता है. जो एक अच्छे जैविक खाद का निर्माण करते हैं. इसमें बहुत कुछ नहीं करना होता है, सीधे यहां के पानी को खेत में डाला जा सकता है. जिससे पैदावार बहुत अच्छी होती है ।

पौधों में बढ़ोतरी के लिए रसोईघर में प्रतिदिन उपयोग होने वाले सब्जी और फलों के छिलके खाद के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है. जैसे आलू, गोभी, केले, संतरे और प्याज आदि के छिलके को पानी में कम से कम 8 घंठे तक रखें, उसके बाद पानी से छिलके को अलग कर दें. बचे हुए पानी को अपने खेत के पौधे या घर पर भी साग सब्जियों के आप पौधे लगाए हैं तो उसके जड़ में भी डाल सकते है, इससे न केवल आपके पौधे हरे भरे रहेंगे बल्कि पैदावार भी अच्छे देंगे ।

यह भी जाने

लकड़ी के जले हुए अवशेष यानी राख को साधारण न समझें. यह पोटैशियम से भरपूर होती है. मिट्टी के पीएच को बढ़ाने में यह संजीवनी की तरह काम करती है. इस राख का इसी तरह से खेत में इस्तेमाल न करें, जो गोबर या अन्य तत्वों से कंपोस्ट तैयार किया गया हो उसमें मिलकर खेत में प्रयोग करें ।

चावल बनाने के बाद अधिकतर घरों में उससे निकलने वाले पानी यानी माड को फेंक दिया जाता है, लेकिन यह बाजारु उर्वरकों से भी काफी बेहतरीन है. चावल के पानी को किसी ड्रम या अन्य पत्र में एकत्र करते जाएं और कुछ दिनों बाद इसको अपने खेत में ले जाकर प्रयोग करें. यह स्टार्च और एनपीके से भरपूर होता हैं. इसके अलावा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम का भी अच्छा स्रोत है. जिसके कारण पौधे बहुत तेजी से बढ़ोतरी करते हैं. कभी भी चावल के पानी में नमक मिलाकर खेत में प्रयोग न करें ।

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