चना मूंग उड़द मसूर तुवर राजमा काबुली चना समीक्षा रिपोर्ट 2023 / Crops boom Recession report

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मसूर: समीक्षा (वर्तमान भाव में तेजी की उम्मीद)
पिछले दिनों की मसूर में आई गिरावट के बाद दाल मिलों की मांग प्रतिस्पर्धात्मक निकलने लगी है, क्योंकि दाल एवं मलका की बिक्री बिहार बंगाल असम की अच्छी निकलने लगी है। दूसरी ओर बाजारों में अन्य दालों से सस्ती बिकने से लोकल मांग भी बढ़ गई है तथा अधिकतर दाल के कारोबारी उड़द- तुवर एवं काबुली चना में इन दिनों से पीछे हट गए हैं, जिससे स्टाकिस्टों की भी मांग अनुकूल है। उत्पादक मंडियों से माल आना कम गया है तथा कनाडा की मसूर भी वहां तेज बोली जा रही है, इन परिस्थितियों में बाजार आगे चलकर और बढ़ जाएगा। जो मसूर बिल्टी में 6025 रुपए तथा कनाडा की 5900 रुपए प्रति क्विंटल में मिल रही है, इसमें दूर-दूर तक जोखिम नहीं है।

मूंग- समीक्षा (यूपी की फसल से तेजी नहीं)
मूंग की गर्मी वाली यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड की मूंग क्रमशः आने लगी है। इनके आने से राजस्थानी माल की बिक्री भी कम हो गई है तथा दाल धोया एवं छिलका की बिक्री उस हिसाब से नहीं है। यही कारण है कि बाजार दबा हुआ है। यहां धोया के मतलब की मूंग 6300 से 6500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रही है, जबकि बढ़िया 7200/7500 रुपए बोल रहे हैं, लेकिन उन वालों के ग्राहक कुछ गिने-चुने घराने ही है। हम मानते हैं कि पुराने माल भी अधिकतर निबटते जा रहे हैं, लेकिन टेंडर वाले माल भी मंदे भाव के आ रहे हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए।

उड़द-समीक्षा (घबराहटपूर्ण बिकवाली से मंदा)
उड़द में सरकार की दहशत से एक बार बिकवाली का प्रेशर बढ़ गया है, जिससे जुलाई के अगाऊं सौदे काफी नीचे आ गए हैं। यही कारण है कि हाजिर में भी बढ़त 2 दिनों में 300 रुपए टूट कर नीचे में 8750 रुपए एसक्यू कल बोलने लगे थे, लेकिन माल नहीं मिला। शाम को दोबारा इसके भाव 8900 रुपए हो गए। अत: यह मंदा केवल घबराहट के चलते आया है, हाजिर में कोई विशेष माल नहीं है तथा चेन्नई में भी कोई माल उतरने वाला नहीं है। फिलहाल दाल धोया एवं छिलका की बिक्री कम जरूर है, लेकिन उड़द में अभी कहीं से कोई नया माल आने वाला नहीं है। इन परिस्थितियों में फिर बाजार बढ़ जाएगा, यह मंदा कारोबारियों के घबराहट पूर्ण बिकवाली से आया है, इसलिए अब बिकवाली की जरूरत नहीं है।

तुवर- समीक्षा (अभी फिर बाजार बढ़ेगा)
तूवर में हाजिर माल की भारी कमी होने तथा निकट में चेन्नई कोलकाता सहित अन्य बंदरगाहों मंडियों में उतरने की संभावना नहीं है। यही कारण है कि तुवर प्रोसेसिंग करने वाली मिलें थोड़ी सी मांग निकलते ही 2 दिन में 400 रुपए टूटने के बाद 200 रुपए सुधरकर 9800 रुपए प्रति कुंतल लेमन खरीदने लगी। पिछले दिनों की आई भारी गिरावट का मुख्य कारण यह है कि सरकार द्वारा बफर स्टॉक की बिक्री करने की घोषणा कर दी गई है, लेकिन सरकार के पास भी ज्यादा माल नहीं है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। हम मानते हैं कि सरकार के एक स्टेटमेंट से बाजार काफी घट या बढ़ जाता है, लेकिन तेजी मंदी हाजिर माल पर निर्भर करेगा। अभी चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, इंदौर, कानपुर किसी भी मंडी में स्टॉक नहीं है तथा दाल मिलें पहले से ही केवल जरुरत के अनुसार माल खरीद रही थी, इसलिए नीचे भाव पर मांग निकलते ही इसमें 300/400 रुपए की तेजी लग रही है।

देसी चना-समीक्षा (स्टॉकिस्टों की बिकवाली से मंदा)
केंद्रीय पूल में देसी चने का स्टाक नए पुराने माल के अधिक बचने से कारोबारियों में घबराहट में बिकवाली बनी हुई है। यही कारण है कि उत्पादन कम होने तथा उत्पादक मंडियों से पड़ते ना लगने के बावजूद भी लारेंस रोड पर खड़ी मोटर में बेपड़ते का व्यापार हो रहा है। यहां मिल क्वालिटी राजस्थानी चना 5040/5050 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है, कुछ बढ़िया माल 5075 रुपए भी बोल रहे हैं। वास्तविकता यह है कि दाल की बिक्री अनुकूल नहीं है। दूसरी ओर गत वर्ष मिलों को पूरे साल सरकारी चना मिलता गया, जिससे दाल मिलें स्टाक लेकर नहीं चल रही हैं। यही कारण है कि स्टॉकिस्ट मंदे भाव में माल काटते जा रहे हैं। आगे चलकर शॉर्टेज में देसी चना भी बढ़ सकता है।

राजमा : समीक्षा (ग्राहकी की कमी से सुस्ती)
राजमां चित्रा के आयात सौदे काफी कम हो रहे हैं तथा उत्पादन करने वाले देशों में भी शॉर्टेज बनने लगी है, लेकिन चालू सप्ताह में ग्राहकी की भारी कमी हो जाने से 100/200 रुपए प्रति में क्विंटल घटाकर बिकवाल आने लगे हैं। जो राजमां चित्रा गन्ना 7200 रुपए प्रति क्विंटल बिका था, उसके भाव 7000 रुपए बोलने लगे हैं। इसके अलावा मुंबई से भी कंटेनर जो 123/124 रुपए प्रति किलो बिके थे, उसके भाव 122/ 123 रुपए रह गए हैं। हाजिर में भी बढ़िया राजमां चित्रा चीन का 130 रुपए बिककर 127/128 रुपए रह गया है। मौसम बरसात का होने से ग्राहकी की कमी रहेगी, जिससे बाजार अभी कुछ और घट सकता है।

काबुली चना-समीक्षा (शॉर्टेज में बाजार बढ़ेगा)
काबुली चने का उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी पुराना माल पूरी तरह समाप्त हो जाने तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से घरेलू तथा निर्यात मांग लगातार बनी हुई है। यही कारण है कि शॉर्टेज के चलते काबली चने में पिछले एक महीने के अंतराल 24/25 रुपए प्रति किलो की तेजी आ गई है तथा 20 दिनों में भी 14/15 रुपए प्रति किलो भाव बढ़ कर महाराष्ट्र के माल 102/103 रुपए एवं मोटे माल बिना छने हुए 123/124 रुपए बोलने लगे हैं। काबली चना शार्टेज में आ गया है, क्योंकि मोटे माल काफी निर्यात में जा रहे हैं, इन परिस्थितियों बाजार अभी और बढ़ जाएगा, लेकिन अपना माल बेचकर मुनाफा ले लेना चाहिए

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