भेड़-बकरियों में तेजी से फैल रहा फुट-रॉट रोग: रोग फैलने के कारण, रोकथाम और बचाव कैसे करें

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भेड़-बकरियों में तेजी से फैल रहा फुट-रॉट रोग: कारण, रोकथाम और बचाव

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फुट-रॉट (Foot-Rot) भेड़ और बकरियों में एक गंभीर संक्रामक रोग है, जो मुख्यतः उनके पैरों को प्रभावित करता है। यह रोग जानवरों की चाल-ढाल, दूध उत्पादन और उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। फुट-रॉट का सही समय पर इलाज न होने पर यह न केवल संक्रमित जानवर को कमजोर कर देता है, बल्कि दूसरे जानवरों में भी बहुत तेजी से फैल सकता है। इसलिए इस रोग की पहचान, रोकथाम और उचित उपचार अत्यंत आवश्यक है।

फुट-रॉट रोग क्या है?

यह एक जीवाणुजनित रोग है, जो जानवरों के खुर (hoof) के आसपास के ऊतकों को संक्रमित करता है। इस रोग का मुख्य कारण दो प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं: डिकेलोबैक्टर नोडोसस और फ्यूजॉफॉर्मस नेक्रोफोरम। ये बैक्टीरिया गीले, कीचड़ भरे और गंदे स्थानों में पनपते हैं और जब जानवर ऐसे स्थानों पर चलते हैं तो उनके खुरों में यह संक्रमण हो जाता है।

रोग के फैलने के कारण

  1. गीली और गंदी सतहें: भेड़ और बकरियों के रहने का स्थान यदि गीला और गंदा होता है, तो वहां पर बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। खुर में मौजूद छोटी-छोटी दरारें इन बैक्टीरिया को प्रवेश करने का अवसर देती हैं।
  2. खुर की सफाई में कमी: जानवरों के खुरों की नियमित सफाई न करने पर धूल, कीचड़ और गंदगी जमा हो जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

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  1. संक्रमित जानवरों से संपर्क: यदि एक जानवर फुट-रॉट से संक्रमित हो जाता है, तो वह जल्दी ही अपने संपर्क में आने वाले अन्य जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। यह संक्रमण विशेष रूप से चराई के दौरान या एक ही स्थान पर कई जानवरों के रहने से फैलता है।
  2. खुर की चोट: यदि जानवर के खुर पर कोई चोट लगती है, तो यह बैक्टीरिया के लिए प्रवेश का आसान रास्ता बन जाता है।
  3. खराब जल निकासी: जहां जानवरों को रखा जाता है, वहां पानी की निकासी ठीक से न होने पर गंदगी जमा हो जाती है, जो बैक्टीरिया के विकास के लिए अनुकूल स्थिति प्रदान करती है।

फुट-रॉट के लक्षण

इस रोग के लक्षणों को पहचानना बेहद महत्वपूर्ण है ताकि समय पर उचित उपचार किया जा सके। इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं:

  1. लंगड़ाना: संक्रमित जानवर सामान्य रूप से चलने में कठिनाई महसूस करता है और लंगड़ाने लगता है। यह लंगड़ापन धीरे-धीरे बढ़ता है।
  2. खुरों में दुर्गंध: फुट-रॉट से पीड़ित जानवर के खुर से तेज दुर्गंध आती है। यह दुर्गंध बैक्टीरिया के संक्रमण का परिणाम होती है।
  3. खुरों में सूजन और घाव: खुर के ऊतकों में सूजन आ जाती है और संक्रमण बढ़ने पर घाव भी दिखाई देने लगते हैं। ये घाव लाल या पीले रंग के हो सकते हैं।
  4. दूध उत्पादन में कमी: फुट-रॉट से पीड़ित जानवर का शरीर कमजोर हो जाता है, जिससे उसकी दूध उत्पादन क्षमता में कमी आ जाती है।
  5. भोजन में अरुचि: संक्रमित जानवर अक्सर खाने-पीने में कमी दिखाते हैं, जिससे उनका वजन घटने लगता है।

रोकथाम के उपाय

फुट-रॉट की रोकथाम के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं, जिनसे इस रोग के फैलने की संभावना को कम किया जा सकता है:

  1. साफ-सफाई का ध्यान: जानवरों के रहने वाले स्थान को साफ और सूखा रखना बेहद जरूरी है। पानी की निकासी सही होनी चाहिए और बाड़े को नियमित रूप से साफ किया जाना चाहिए। गंदगी और कीचड़ से दूर रखने पर फुट-रॉट के बैक्टीरिया पनप नहीं पाते।
  2. खुरों की नियमित जांच: भेड़ और बकरियों के खुरों की नियमित जांच और सफाई करें। अगर खुर में किसी प्रकार की दरार, घाव या संक्रमण दिखाई दे, तो तुरंत उपचार करें।
  3. संक्रमित जानवरों को अलग करना: अगर किसी जानवर में फुट-रॉट के लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे तुरंत स्वस्थ जानवरों से अलग कर दें। इससे संक्रमण का फैलाव रुक सकता है।

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  1. वैक्सिनेशन: फुट-रॉट के खिलाफ बाजार में वैक्सीन उपलब्ध हैं। इनका उपयोग करके जानवरों को इस संक्रमण से बचाया जा सकता है। पशु चिकित्सक से सलाह लेकर नियमित वैक्सिनेशन कराना जरूरी है।
  2. चरागाह प्रबंधन: चराई के लिए इस्तेमाल होने वाली भूमि को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए। इससे बैक्टीरिया का विकास रुक जाता है और जानवरों के खुर सुरक्षित रहते हैं।

फुट-रॉट का उपचार

इस रोग का उचित और समय पर उपचार करने से जानवर को इस बीमारी से मुक्त किया जा सकता है। उपचार के कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:

  1. एंटीबायोटिक उपचार: फुट-रॉट के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए पशु चिकित्सक द्वारा एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जा सकता है। एंटीबायोटिक्स न केवल बैक्टीरिया को खत्म करते हैं, बल्कि सूजन और दर्द को भी कम करते हैं।
  2. खुर की सफाई: संक्रमित खुर को अच्छे से साफ किया जाना चाहिए। इसके लिए हल्के गरम पानी का उपयोग किया जा सकता है। खुर को काटकर मृत ऊतक हटा देना चाहिए, ताकि संक्रमण और न बढ़ सके।
  3. टॉपिकल उपचार: फुट-रॉट के इलाज के लिए कई प्रकार के टॉपिकल (स्थानीय) दवाओं का उपयोग किया जा सकता है, जो सीधे संक्रमित हिस्से पर लगाई जाती हैं। ये दवाएं संक्रमण को जल्दी ठीक करने में मदद करती हैं।
  4. पानी में डुबोने का इलाज: जानवर के खुर को एंटीसेप्टिक घोल में डुबोना एक प्रभावी उपचार है। यह बैक्टीरिया को खत्म करता है और खुर को संक्रमण मुक्त करता है। इस घोल में 10% जिंक सल्फेट या कॉपर सल्फेट का उपयोग किया जा सकता है।
  5. पशु चिकित्सक से परामर्श: अगर संक्रमण गंभीर हो जाता है, तो बिना देरी किए पशु चिकित्सक से संपर्क करें। वे आवश्यक दवाइयों और उपचार की सलाह देंगे।

निष्कर्ष

फुट-रॉट भेड़ और बकरियों में एक सामान्य लेकिन गंभीर रोग है, जिसे नजरअंदाज करने पर इसका प्रभाव जानवर के स्वास्थ्य और उत्पादकता पर पड़ता है। उचित सफाई, समय पर वैक्सिनेशन और जागरूकता के माध्यम से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षणों की पहचान हो जाती है, तो तुरंत उपचार शुरू करना जरूरी है। समय पर सही कदम उठाने से न केवल जानवर स्वस्थ रहेगा, बल्कि उसके उत्पादन में भी वृद्धि होगी और पशुपालक को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकेगा।

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