भारतीय चावल की निर्यात कीमत बढ़ी, धान भाव में 200-300 रुपए उछाल की संभावना

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बैंकॉक 7 अप्रैल। एक सप्ताह पूर्व की तुलना में बीते सप्ताह एशियाई कारोबार में शीर्ष निर्यातक, भारत, के चावल की निर्यात कीमत में तेजी आई।

कारोबारियों और विश्लेषकों का कहना है कि ऊंची निर्यात ड्यूटी की वजह से यह नवीनतम तेजी आई है। दूसरी ओर, थाईलैंड के चावल की मांग नीरस बनी हुई है।

आलोच्य सप्ताह के दौरान भारत का 5 प्रतिशत टुकड़ा पारबॉयल्ड चावल 550-558 डॉलर प्रति टन पर बोला गया। एक सप्ताह पूर्व इसकी कीमत 543-550 डॉलर थी। एक महीना पूर्व तो इसकी कीमत 560 डॉलर के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर जा पहुंची थी।

एक कारोबारी ने कहा कि हमने जबसे सुना है कि सरकार 20 प्रतिशत निर्यात ड्यूटी की गणना करने के लिए फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) के आधार को बदलकर सौदे की कुल कीमत करने पर विचार कर रही है। इसलिए हमने कीमत बढ़ा दी है।

एक अन्य कारोबारी ने कहा कि इसकी वजह से कीमत बढ़ी है। चावल की घरेलू कीमतों को नियंत्रण में बनाए रखने के लिए सरकार ने अगस्त, 2023 में पारबॉयल्ड चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी थी।

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इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि कुछ निर्यातकों ने यह आशंका जताई है कि कस्टम विभाग पिछले 18 महीनों के दौरान किए गए चावल के निर्यात पर ड्यूटी के अंतर के भुगतान की मांग कर रहा है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि कुछ निर्यातकों को डिपार्टमेंट की ओर से इस प्रकार के नोटिस मिले हैं।

यदि वास्तव में ऐसा हुआ है तो यह दुर्लभ टैक्स डिमांड देश से चावल के निर्यात में कमी ला सकती है। बहरहाल, थाईलैंड का 5 प्रतिशत टुकड़ा चावल 585-590 डॉलर प्रति टन पर बोला जा रहा है। एक सप्ताह पूर्व इसकी कीमत 598 डॉलर थी।

यहां स्थित एक कारोबारी ने कहा कि बाहट तथा मांग में कमी आने के कारण कीमत में यह मंदी आई है लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इंडोनेशिया के खरीददारों की वजह से कीमत को समर्थन भी मिल रहा है।

एक अन्य कारोबारी ने कहा कि वियतनाम का चावल
अपेक्षाकृत रूप से सस्ता पड़ रहा है और स्थानीय आपूर्ति भी अपने अंतिम चरण में पहुंच रही है।

हालांकि अभी धान की कुछ मात्रा शेष बची हुई है। बहरहाल, वियतनाम का 5 प्रति टुकड़ा चावल 590-595 डॉलर प्रति टन के एक सप्ताह पूर्व के स्तर पर ही बना हुआ है।

हो छि मिन्ह सिटी स्थित एक कारोबारी ने कहा कि अमेरिका द्वारा हाल ही समाप्त हुए मार्च महीने के आरंभ में यह अनुमान व्यक्त किया गया था कि घरेलू आपूर्ति बढ़ने के कारण इस वर्ष फिलीपीन्स के आयात में कमी आ सकती है।

इसके बाद निर्यातकों ने किसानों से अपनी खरीद धीमी कर दी है। गौरतलब है कि फिलीपीन्स वियतनाम के चावल का सबसे बड़ा आयात बाजार है।

इस दौरान, बंगलादेश में अच्छी औसत उत्पादकता तथा बकाया स्टॉक के बाद भी चावल की कीमत ऊंचे स्तर पर ही बनी रही।

अधिकारियों ने कहा कि सरकार चावल की घरेलू कीमत को काबू में बनाए रखने के लिए निजी आयातकों को 2 लाख टन तक चावल के आयात की अनुमति दे सकती है।

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