जीरा भाव तेजी मंदी रिपोर्ट 2023 / जीरा भाव भविष्य 2023

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जीरा : सीमित दायरे में घूमते रहने के आसार
बीता अगस्त महीना गुजरात में ऐतिहासिक तौर पर शुष्क साबित हुआ। हालांकि मौसम विभाग ने पूरे गुजरात में सामान्य से 21 प्रतिशत कम वर्षा होने की जानकारी दी है लेकिन अगस्त महीने में राज्य में करीब 120 सालों की सबसे कम वर्षा हुई है। दूसरी ओर, हाल ही में आई तेजी के बाद आवक भी कमजोर बनी हुई है। आगामी दिनों में जीरा सीमित दायरे में घूमते रहने के आसार हैं।

गत जुलाई महीने में दक्षिणी गुजरात के कई जिलों में भारी वर्षा होने और बाढ़ आने के बाद भी बीता अगस्त महीना ऐतिहासिक तौर पर सबसे शुष्क महीना साबित हुआ है। मौसम विभाग का कहना है कि गुजरात में वर्तमान मानसून सीजन के आरंभ से लेकर अभी तक करीब 21 प्रतिशत वर्षा कम हुई है लेकिन अगस्त महीने में राज्य, विशेषकर उत्तरी गुजरात, में करीब 120 सालों की सबसे कम वर्षा हुई है। आने वाले दशहरे के त्यौहार के आसपास राज्य में जीरे की | नई फसल की बुआई शुरू होनी है। वर्षा की नवीनतम स्थिति की वजह से अभी से नई फसल की बिजाई प्रभावित होने और कमी आने की आशंकाएं जताई जाने लगी हैं। हालांकि जीरे में हाल ही में आई तेजी के बाद किसानों की बिकवाली सीमित ही बनी हुई है। यही वजह है कि ऊंझा मेंड़ी में जीरे की किसानी आवक फिलहाल | करीब 2500-3000 बोरियों की ही हो रही है। इसके बाद भी ऊंझा में जीरे की कीमत हाल ही में 800-1000 रुपए तेज होकर मंदी होकर फिलहाल 11,750/12,200 रुपए प्रति 20 किलोग्राम पर बनी हुई है।

इसी प्रकार, स्थानीय थोक किराना बाजार में भी लिवाली बढ़ने से जीरा सामान्य 2 हजार रुपए तेज होकर फिलहाल 63/64 हजार रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें इतनी ही मंदी | आई थी। कीमत में आई इस नवीनतम मंदी के कारण किसान अपनी इस फसल की बिक्री हाथ रोककर कर रहे हैं। आवक तुलनात्मक रूप से नीची बनी होने का प्रमुख कारण यह है कि बीते मार्च महीने में हुई वर्षा के कारण खासकर राजस्थान में फसल को हानि हुई थी। इसके अलावा बंगलादेश समेत अन्य परम्परागत आयातक देशों की ऊंझा मंड़ी में जीरे में सक्रियता बनी हुई है। हालांकि कीमत सामान्य से ऊंची होने के कारण उनकी खरीद सामान्य से कमजोर बताई जा रही है। दूसरी ओर, बीते सीजन के दौरान जीरे के उत्पादन में करीब एक तिहाई की गिरावट आने की आशंका के बाद से इसकी थोक कीमत ने रुक-रुककर नए-नए रिकॉर्ड कायम किए थे। बड़ी चिंता की बात यह है कि समुद्री भाड़ा भी बीते कुछ समय के दौरान बढ़ता हुआ फिलहाल करीब 3 गुणा तक ऊंचा बना हुआ है। भाड़े की दर ऊंची होने के करण भी अन्य प्रमुख जिंसों के साथ-साथ जीरे की निर्यात का अभाव बना हुआ है।

भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप जाना जाता है लेकिन अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के आरंभिक दो महीनों में जीरे का मात्रात्मक निर्यात 68 प्रतिशत उछलकर 42,988.50 टन का हुआ। आय 205 प्रतिशत | उछलकर 1502.27 करोड़ रुपए की हुई। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में देश से 492.11 करोड़ रुपए मूल्य के 25,603 टन जीरे का निर्यात हुआ था। आगामी दिनों में जीरा सीमित दायरे में ही घूमतारहने के आसार नजर आ रहे हैं।

डिस्क्लेमर : – किसान भाइयों व्यापार अपने विवेक से करें। ये हमारा अनुमान है कि आगे आने वाले दिनों में जीरा भाव में क्या स्थिति रही सकती है। हम आपको समय समय पर बाजार की स्थिति से अवगत करवाते रहते हैं।

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