जीरा भाव तेजी मंदी रिपोर्ट 2023 / जीरा भाव खिलाएगा गुल या आएगी मंदी।

जीरा भाव तेजी मंदी रिपोर्ट 2023 / cumin boom Recession report 2023 :- जीरा भाव भविष्य 2023, नमस्कार किसान भाइयों जीरा भाव में लगातार तेजी आई थी। और जीरा के भाव सोने के भाव के बराबर हो चुके थे लेकिन पिछले कुछ समय से जीरा भाव में गिरावट आई। आने वाले दिनों में जीरा बाजार कैसा रहेगा इसकी जानकारी आपको उपलब्ध करवायेंगें। रोजाना अपनी मंडी के ताजा भाव, फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट और मौसम पूर्वानुमान की जानकारी पाने के लिए हमारी वेबसाइट पर रोजाना विजीट करें और गुगल पर सर्च जरूर करें 👉 Mandi xpert

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जीरे में और मंदी के आसार नजर आने लगे ।

गुजरात की ऊंझा मंडी में वर्षा के कारण इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय तक जीरे की न तो कोई आवक हुई और न ही नीलामी संभव हो पाई है। यह जानकारी ऊंझा स्थित व्यापारियों ने दी। उन्होंने बताया कि वैसे तो क्षेत्र में गत दो तीन दिनों से वर्षा हो रही है लेकिन आज सुबह से ही वर्षा चालू होने के कारण किसान मंड़ी में जीरा नहीं ला सके। इसकी वजह से नीलामी भी नहीं हो सकी। उन्होंने आगे बताया कि नवीनतम वर्षा की वजह से जीरे में और मंदी के आसार भी नजर आने लगे हैं।


उन्होंने बताया कि फिलहाल विशेषकर उत्तरी गुजरात में वर्षा की भारी कमी महसूस की जा रही थी। गत दो-तीन दिनों में हुई अच्छी वर्षा खरीफ फसलों के साथ-साथ करीब डेढ़-दो महीने बाद रबी जिंसों की बिजाई के लिए भी काफी लाभदायक मानी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि सब कुछ सामान्य रहा तथा वर्षा के कुछ और दौर हो जाते हैं तो आने वाले दशहरा के आसपास राज्य में शुरू होने वाली जीरे की नई फसल की बुआई को इससे लाभ हो सकता है।

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यही वजह है कि यहां स्थित स्थानीय थोक किराना बाजार में स्टॉकिस्टों की लिवाली का अभाव बना होने से जीरा सामान्य तथा मशीन क्लीन एक-एक हजार रुपए लुढ़ककर क्रमश: 61,500/62,500 रुपए और 64/65 हजार रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गया। हाल ही में इसमें करीब दो-ढाई हजार रुपए की गिरावट आ चुकी है। व्यापारियों का मानना है कि सट्टा में आती जा रही गिरावट के बाद अब अनुकूल वर्षा भी होने से बाजार की धारणा में बदलाव हो सकता है।


ऊंझा मंडी स्थित व्यापारी जतिन पटेल ने बताया कि आज सुबह से ही क्षेत्र में वर्षा चालू है। इसकी वजह से किसान मंडी में अपनी जीरा फसल भी नहीं ला पाए। किसानी आवक नहीं होने और वर्षा भी चालू होने के कारण इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय तक मंडी में जीरे की नीलामी भी संभव नहीं हो पाई। मंड़ी में कभी-कभार ही ऐसा होता है कि नीलामी नहीं हो पाए। यह बहुत हैरानी की बात मानी जाती है।

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मंडी स्थित एक अन्य व्यापारी दीक्षित पटेल ने बताया कि गत दो-तीन दिनों से ऊंझा तथा आसपास के क्षेत्रों में रुक-रुककर वर्षा हो रही थी। इस दौरान उत्तरी गुजरात में करीब तीन से चार इंच तक वर्षा हो गई है। नवीनतम वर्षा को खरीफ फसलों के साथ-साथ आगामी रबी सीजन की फसलों की बुआई के लिए भी लाभदायक माना जा रहा है क्योंकि इन फसलों की बुआई शुरू होने में अभी करीब डेढ़-दो महीनों का समय बकाया है।
श्री जतिन पटेल ने बताया कि रबी फसलों, विशेषकर जीरे की नई फसल की बिजाई शुरू होने से पूर्व यदि वर्षा के कुछ और दौर हो जाते हैं तो इससे बुआई को फायदा होने का अनुमान काफी बढ़ जाएगा। हालांकि इस वर्षा से पूर्व तक यह माना जा रहा था कि वर्षा की भारी कमी की वजह से इस बार कीमत आसमान पर होने के बाद भी राज्य में जीरे की बुआई में कमी आ सकती है परन्तु अब यह आशंका काफी हद तक दूर होने के आसार हैं।


दूसरी ओर, घरेलू बाजारों में जीरे की आसमान छूती कीमत का इसके निर्यात पर नकारात्मक असर हुआ है। मसाला बोर्ड के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के आरंभिक तीन महीनों में जीरें का 53,399.64 टन का हुआ। इससे 1834.15 करोड़ रुपए की आ हुई। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में देश से 940.04 करोड़ रुपए मूल्य के 47,190 टन जीरे का निर्यात हुआ था।
व्यापारियों का मानना है कि यदि मौसम में हाल ही में हुआ यह सकारात्मक बदलाव भविष्य में भी बना रहता है तो निश्चित ही इससे जीरे में और मंदी की आशंका को बल मिलेगा। बुआई भी चालू सीजन के आसपास ही होने के आसार प्रबल हो जाएंगे।

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