पशुओं में बुखार, दस्त, थनैला और निमोनिया रोग के फैलने का कारण, रोकथाम और बचाव के उपाय

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पशुओं में बुखार, दस्त, थनैला और निमोनिया रोग के फैलने का कारण, रोकथाम और बचाव के उपाय

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पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और पशुओं का स्वास्थ्य इसके प्रमुख घटकों में से एक है। पशुओं में कई तरह की बीमारियां पाई जाती हैं, जिनमें बुखार, दस्त, थनैला और निमोनिया प्रमुख हैं। यदि इन बीमारियों का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो यह न केवल पशुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, बल्कि उनके उत्पादन और उत्पादकता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए इन बीमारियों के कारणों को समझना, उनकी रोकथाम और उचित उपचार करना बहुत आवश्यक है। इस लेख में हम बुखार, दस्त, थनैला और निमोनिया जैसी आम बीमारियों के कारण, रोकथाम और बचाव के उपायों पर चर्चा करेंगे।

बुखार ( FEVER )

कारण:

पशुओं में बुखार कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण, परजीवी आक्रमण, खराब पोषण, गंदे रहने की स्थिति, या मौसम में अचानक बदलाव। गर्मी या ठंड के मौसम में अधिक तापमान या तापमान में अचानक वृद्धि होने से भी पशुओं में बुखार हो सकता है।

लक्षण:

शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होना

आलस्य और कमजोरी

खाने-पीने में कमी

तेजी से सांस लेना

यह भी जाने

नाक या आंखों से स्राव

रोकथाम और बचाव:

पशुओं को साफ और हवादार स्थान पर रखें।

उनके खान-पान में संतुलित पोषण का ध्यान रखें।

समय-समय पर पशुओं की नियमित जांच कराते रहें ताकि किसी बीमारी का समय रहते पता चल सके।

बुखार की स्थिति में पशु को आराम दें और उसे हाइड्रेट रखें।

पशु चिकित्सक की सलाह पर एंटीबायोटिक्स या अन्य आवश्यक दवाइयों का प्रयोग करें।

दस्त ( DIARRHEA )

कारण:

दस्त का प्रमुख कारण आंतों में संक्रमण होता है, जो वायरस, बैक्टीरिया या परजीवियों के कारण हो सकता है। इसके अलावा, अचानक आहार में बदलाव, दूषित पानी या भोजन, और खराब वातावरण भी दस्त का कारण बन सकते हैं। नवजात बछड़ों और बच्चों में दस्त की समस्या अधिक देखने को मिलती है।

लक्षण:

मल का पतला और पानीदार होना

बार-बार शौच करना

कमजोरी और पानी की कमी

भूख में कमी

बुखार

रोकथाम और बचाव:

पशुओं को स्वच्छ और ताजे पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

आहार में अचानक बदलाव से बचें और धीरे-धीरे नया आहार दें।

छोटे पशुओं (बछड़ों) को जन्म के तुरंत बाद कोलोस्ट्रम (पहला दूध) पिलाएं, जो उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

दस्त होने पर पशु को निर्जलीकरण से बचाने के लिए उसे इलेक्ट्रोलाइट्स दें और पशु चिकित्सक से परामर्श लें।

पशुओं को दूषित भोजन या पानी से बचाएं और नियमित रूप से टीकाकरण कराएं।

थनैला ( MASTITIS )

कारण:

थनैला गाय और भैंसों में होने वाला एक सामान्य रोग है, जो थनों के संक्रमण के कारण होता है। इस रोग के मुख्य कारण बैक्टीरियल संक्रमण, थनों की सफाई में कमी, दूध निकालने में खराब उपकरणों का इस्तेमाल, या दूध निकालने की अनुचित विधियां हो सकती हैं।

लक्षण:

थनों में सूजन और गर्माहट

दूध में रक्त या पीले रंग की अशुद्धियां

दूध की मात्रा में कमी

दूध निकालते समय दर्द

पशु का बुखार

रोकथाम और बचाव:

दूध निकालने से पहले और बाद में थनों की अच्छी तरह से सफाई करें।

स्वच्छ और स्टेरलाइज्ड दूध निकालने वाले उपकरणों का प्रयोग करें।

अगर किसी जानवर में थनैला के लक्षण दिखें, तो उसे तुरंत अन्य स्वस्थ जानवरों से अलग कर दें।

थनैला से प्रभावित पशु का दूध अन्य पशुओं को न पिलाएं।

पशु चिकित्सक से सलाह लेकर एंटीबायोटिक थैरेपी करें और दूध निकालने की विधि को सही रखें।

निमोनिया ( PNEUMONIA )

कारण:

निमोनिया एक श्वसन तंत्र से संबंधित गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से ठंडे और गीले मौसम में अधिक होती है। यह बैक्टीरियल, वायरल, या फंगल संक्रमण के कारण होता है। इसके अलावा, अत्यधिक भीड़, खराब वेंटिलेशन, ठंडी हवा और गंदगी भी निमोनिया के प्रमुख कारण हैं।

लक्षण:

तेज बुखार और ठंड लगना

सांस लेने में कठिनाई

खांसी और नाक से स्राव

थकान और कमजोर होना

भूख की कमी

रोकथाम और बचाव:

पशुओं के रहने के स्थान को स्वच्छ और हवादार रखें, खासकर ठंडे मौसम में।

पशुओं को ठंड से बचाने के लिए गर्म स्थान पर रखें और ठंडी हवा से बचाव करें।

भीड़भाड़ वाले स्थानों में पशुओं को न रखें, जिससे श्वसन तंत्र के संक्रमण का खतरा कम हो।

पशुओं को समय-समय पर श्वसन संबंधी बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण कराएं।

निमोनिया के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें और उचित उपचार शुरू करें।

निष्कर्ष:

पशुओं में बुखार, दस्त, थनैला और निमोनिया जैसी बीमारियां गंभीर हो सकती हैं, लेकिन इनकी रोकथाम और बचाव के उपायों को सही तरीके से अपनाकर पशुओं के स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सकता है। साफ-सफाई, सही पोषण, और समय-समय पर टीकाकरण इन बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक हैं। साथ ही, यदि पशु बीमार हो जाएं, तो तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर उचित उपचार करना चाहिए। ध्यान रखें कि स्वस्थ पशु न केवल बेहतर उत्पादन देते हैं, बल्कि उनके स्वास्थ्य पर ध्यान देना पशुपालन की सफलता के लिए आवश्यक है।

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